Wednesday, October 9, 2024

डॉस द्वारा कम्प्यूटर वायरस से बचाव कैसे करें | How To Protect Computer From Virus With DOS – Best Info In Hindi

डॉस द्वारा कम्प्यूटर वायरस से बचाव कैसे करें | How To Protect Computer From Virus With DOS – Best Info In Hindi

डॉस द्वारा कम्प्यूटर वायरस से बचाव जैसा कि हमारे लेख में आप पढ़े होंगे कम्प्यूटर वायरस क्या है, जिसमें बताया गया है कि कम्प्यूटर वायरस ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिन्हें जानबूझकर ऐसा बनाया जाता है कि वे आपके प्रोग्राम तथा डेटा को क्षतिग्रस्त अथवा नष्ट कर सकें। वायरस का प्रभाव छोटी-सी हानि से लेकर भारी विनाश तक हो सकता है। काम के जोखिम को देखते हुए यह जिम्मेदारी आपकी है कि वायरस से अपने कम्प्यूटर में स्थित प्रोग्रामों व आंकड़ों को सुरक्षित रखें। डॉस-6 में वायरस से बचाव के लिए दो
उपाय  हैं- Anti Virus तथा VSafe l

एन्टी वायरस (Anti Virus)

एन्टी-वायरस प्रोग्राम आपके कम्प्यूटर की स्मृति तथा ड्राइव्स में वायरस के उपस्थित होने की जांच करता है। इस प्रोग्राम से 1000 से भी अधिक प्रकार के विभिन्न वायरसों, जो कि आपके कम्प्यूटर को प्रभावित कर सकते हैं, का पता लगाया जा सकता है। यह प्रोग्राम प्राम्ट पर MSAV टाइप करने तथा उसके बाद ड्राइव का नाम तथा विकल्प टाइप करने पर चलाया जा सकता है। उदाहरणार्थ- C:\>MSAVIC , यदि आप ड्राइव का नाम निर्दिष्ट नहीं करते हैं तो यह प्रोग्राम चालू ड्राइव की जांच करेगा। इस प्रोग्राम के साथ अन्य विकल्प इस प्रकार हैं :


IC इस विकल्प को चुनने से यह स्कैन तो करता ही है साथ ही वायरस को हटाता भी है।
IS इस विकल्प को चुनने से यह स्कैन तो करता है लेकिन वायरस नहीं हटाता है।
IR इस विकल्प को चुनने से मूल डायरेक्ट्री में एक रिपोर्ट फाइल MSAV.PRT के नाम से बनाता है जो यह बताती है कितनी फाइलें चेक हुई, कितनी फाइलों में वायरस था और कितनी फाइलों से वायरस हटाया गया। इस रिपोर्ट को TYPE MSAV.RPT – से स्क्रीन पर देखा जा सकता है।

डॉस द्वारा कम्प्यूटर वायरस से बचाव कैसे करें | How To Protect Computer From Virus With DOS – Best Info In Hindi
डॉस द्वारा कम्प्यूटर वायरस से बचाव कैसे करें | How To Protect Computer From Virus With DOS – Best Info In Hindi

वीसेफ (VSafe)

वीसेफ VSafe एक ऐसा प्रोग्राम है जो आपके कंप्यूटर में वायरसों की निरंतर (Continuous) जांच करता रहता है। VSafe हमेशा क्रियाशील रहता है। कम्प्यूटर वायरस से बचाव इसके क्रियान्वयन के लिए रैम (RAM) के एक हिस्से की आवश्यकता होती है। जैसे ही vSafe को वायरस होने का पता चलता है तो यह चेतावनी की सूचना प्रदर्शित करेगा। यह प्रोग्राम निम्न कमाण्ड द्वारा चलाया जा सकता है और स्मृति में डाला जा सकता है।

यह भी देखें :  अपने संक्रमित पीसी पर एक एंटी वायरस कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कैसे स्थापित करें | How to Install an Anti Virus Computer Software on Your Infected PC- Best way in Hindi

एंटी वायरस प्रोग्राम (Anti Virus Program)

कम्प्यूटर में वायरस की उपस्थिति की जानकारी करने तथा कम्प्यूटर को उनसे मुक्त कराने वाले विशेष सॉफ्टवेयर्स आज बाजार में उपलब्ध हैं। इन सॉफ्टवेयर्स को एंटी वायरस प्रोग्राम कहा जाता है। ये ‘एंटी वायरस प्रोग्राम‘ अन्य कम्प्यूटर प्रोग्राम्स की भांति ही होते हैं। प्रत्येक वायरस को पहचानने का एक विशेष तरीका होता है। जिन वायरसों को पहले पकड़ा जा चुका है, उनकी पहचान के तरीके इन ‘एंटी वायरस प्रोग्राम्स’में रिकॉर्ड रहते हैं और यदि किसी भी कम्प्यूटर में, इन पहले से रिकार्ड किए गए पहचान चिन्हों में से किसी की भी उपस्थिति का संकेत मिलता है तो ये ‘एंटी वायरस प्रोग्राम’ आसानी से कम्प्यूटर में उस वायरस को ढूंढ लेते हैं।

प्रत्येक वायरस का अपना एक विशेष कार्यक्षेत्र होता है अर्थात् प्रत्येक वायरस के बारे में यह निश्चित होता है कि वह किस प्रकार की फाइल्स अथवा डेटा को क्षतिग्रस्त करेगा। एक बार किसी वायरस को पहचानने के बाद, एंटी वायरस प्रोग्राम, न केवल उस वायरस को कम्प्यूटर से हटा देते हैं बल्कि उनके कार्यक्षेत्रों के आधार पर, क्षतिग्रस्त किए गए डेटा अथवा फाइल्स को भी, कभी-कभी पूर्ण रूप से और कभी-कभी आंशिक रूप से सही कर देते हैं।

एंटी वायरस प्रोग्राम से क्या होता है?

एंटी वायरस प्रोग्राम्स में वायरस की संरचना के आधार पर अनेक ऐसे वायरसों की जांच करने की भी व्यवस्था होती है जिनके विषय में ‘एंटी वायरस प्रोग्राम’ में कोई सूचना रिकार्ड नहीं होती। इस प्रकार के ‘एंटी वायरस प्रोग्राम्स’ को ‘स्मार्ट एंटी वायरस प्रोग्राम्स’ कहा जाता है।

यह भी देखें :  कंप्यूटर इंटरनेट सुरक्षा क्या है और कैसे करें  | Best Computer Internet Security

किसी भी एंटी वायरस प्रोग्राम को खरीदते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

एंटी वायरस प्रोग्राम को कम्प्यूटर में स्थापित करना तथा प्रयोग करना सरल हो-एंटी वायरस प्रोग्राम को कम्प्यूटर में लोड (Load) करना तथा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार व्यवस्थित (Configure) करना सरल होना चाहिए। अनेक एंटी वायरस प्रोग्राम इस प्रकार के हैं कि उन्हें एक सामान्य प्रयोगकर्ता के लिए कम्प्यूटर में स्थापित (Install) करना अत्यन्त कठिन होता है। आपका एंटी वायरस प्रोग्राम (AVP) ऐसा होना चाहिए कि एक सामान्य प्रयोगकर्ता भी जब चाहे उसे मैमोरी रेजीडेन्ट (Memory Resident) बना सके और जब चाहे मैमोरी से हटा सके।  एंटी वायरस प्रोग्राम के साथ आवश्यक जानकारियां हों तथा उसका अपग्रेडेशन करना सरल हो-


एंटी वायरस प्रोग्राम की सहायता से वायरसों को खोजने तथा कम्प्यूटर से मिटाने के लिए आवश्यक कमाण्ड्स आदि के बारे में कोई लिखित सामग्री अवश्य ही ले लेनी चाहिए, ताकि आप अपने खरीदे गए AVP के सभी कमाण्डस को सुविधा से समझ सकें। आमतौर पर लगभग हर महीने ही कई नए- नए वायरस बनाए जा रहे हैं जिनके के लिए प्रत्येक AVP बनाने वाली कम्पनी, समय-समय पर अपने AVP को अपग्रेड करती रहती हैं। कुछ कम्पनियां अपने AVP प्रयोगकर्ताओं को अगले कुछ अपग्रेडेशन निःशुल्क करती हैं तथा कुछ कम्पनियां ग्राहक से पुराना AVP लेकर, नया अपग्रेडेड AVP ग्राहक को दे देती हैं।

कुछ कम्पनियां इस प्रकार के मुफ्त अपग्रेड के बारे में कोई चर्चा ही नहीं करतीं। ऐसी स्थिति में कम्पनी से लिखित में इन अपग्रेड्स के लिए गारण्टी ले लेनी चाहिए, अन्यथा आप अपने AVP से नए वायरसों को नहीं खोज पाएंगे। एंटी वायरस प्रोग्राम आवश्यकता होने पर TSR की भांति कार्य कर सके-जब आप कम्प्यूटर बार-बार ऐसी फ्लापीज़ का प्रयोग कर रहे हों जिनमें वायरस होने की सम्भावना हो अथवा जिनके वायरस मुक्त होने के बारे में आप निश्चित न हों अथवा इन्टरनेट पर कार्य कर रहे हों, जिससे वायरस आने का खतरा रहता है, ऐसे में AVP में इसके लिए सक्षम होना चाहिए कि वह TSR की भांति कार्य कर सके।

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यदि आपका AVP मैमोरी रेजीडेन्ट रहेगा तो यह इस बात की पूर्ण सावधानी रख सकेगा कि कोई भी वायरस, आपके कम्प्यूटर पर हमला न कर सके। इससे आपको प्रत्येक फ्लॉपी में वायरस की उपस्थिति की जांच करने की आवश्यकता नहीं रहेगी बल्कि जैसे ही कोई वायरस कम्प्यूटर में प्रवेश का प्रयास करेगा, आपका AVP स्वयं ही इस बात की जानकारी देगा।

एंटी वायरस प्रोग्राम बूट सैक्टर तथा मास्टर बूट रिकॉर्ड की जांच करने में सक्षम हो-अनेक खतरनाक वायरस डेटा के अतिरिक्त बूट सैक्टर तथा मास्टर बूट रिकार्ड (MBR) को भी क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, जैसे-CIH वायरस, अतः AVP वायरस बूट सैक्टर तथा मास्टर बूट रिकॉर्ड में भी वायरस की जांच करने में सक्षम होना चाहिए।

एंटी वायरस प्रोग्राम को स्मार्ट एंटी वायरस प्रोग्राम होना चाहिए-आपका एंटी वायरस प्रोग्राम ऐसा होना चाहिए कि वह पहले से ज्ञात ऐसे वायरसों, जिनके बारे में अधिक जानकारियां नहीं हैं, कम्प्यूटर वायरस से बचाव की भी जांच कर सके। एंटी वायरस प्रोग्राम नेटवर्क के लिए भी सक्षम हो-कम्प्यूटर्स को नेटवर्क, भले ही वह छोटी-सी LAN ही क्यों न हो, से जोड़ने के अनेक लाभ हैं। इसलिए जब AVP खरीदना ही है, तो AVP का ऐसा संस्करण लेना उचित रहेगा जो नेटवर्क से जुड़े सभी कम्प्यूटर्स क्लाइंट्स तथा सर्वर में वायरस की जांच कर सके।

एंटी वायरस प्रोग्राम विभिन्न एनक्रिप्शन (Encryption) तकनीकों से लड़ने के लिए उपयुक्त हो- आजकल ऐसे अनेक वायरस बाजार में आ रहे हैं जो कम्प्यूटर को निशाना बनाते समय हर बार अपना कोड बदल देते हैं। इस प्रकार के कोड बनाने के लिए, इन वायरसों के साथ एक विशेष म्यूटेशन इंजन (Mutation Engine) जुड़ा होता है और इस प्रकार के वायरस, पोलीमोर्फिक वायरस कहलाते हैं। आपके AVP के साथ भी, म्यूटेशन इंजन जुड़ा होना चाहिए, ताकि वह इन पोलीमोर्फिक वायरसों को भी पकड़ने में सक्षम हो सके। आजकल बाजार में अनेकों अच्छे एंटी वायरस प्रोग्राम उपलब्ध हैं, जैसे-नॉर्टन एंटी वायरस (Norton Anti Virus), डॉ. सोलोमन टूल किट आदि। ये सभी एंटी वायरस प्रोग्राम्स उपरोक्त तथ्यों को पूरा करते हैं। 

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Suraj Kushwaha
Suraj Kushwahahttp://techshindi.com
हैलो दोस्तों, मेरा नाम सूरज कुशवाहा है मै यह ब्लॉग मुख्य रूप से हिंदी में पाठकों को विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर टेक्नोलॉजी पर आधारित दिलचस्प पाठ्य सामग्री प्रदान करने के लिए बनाया है।

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